आदिनाथ महेश शंकर शिव त्रिलोचन पार्वतीवर ध्यान धर कैलास गिरी पर जयतु शंकर जय महेश्वर || १ || जटाजूट बिराजे गंगा अंग अंग बभूत रंगा चन्द्रमा धर सीस सुन्दर जय शशीधर जय महेश्वर || २ || नीलकण्ठ भुजंगधारी रुण्डमाल गले है डारी राम नाम जपै बीजाक्षर जय गरलधर जय महेश्वर || ३ || डमरू डमडम कर पिनाकी त्रिशूलपाणि मूरत जाकी रुद्र व्याघ्राम्बर वसनधर जय दिगंबर जय महेश्वर || ४ || कर निवास जो भूतसंग शान्त स्वान्त चढ़ाये भंग करत ताण्डव नृत्य गम्भीर जय नटेश्वर जय महेश्वर || ५ || चबर ढाये नंदी अरु गण पंचवदन सदैव उन्मन पशुपति को भजत सुरनर जय विश्वम्भर जय महेश्वर || ६ || बिल्व, धतुरा, क्षिर चढ़ाए दीन हम तो शरण आए कृपा कर अज्ञान को हर जयतु शंकर जय महेश्वर || ७ || काव्य © स्वप्निल 'प्रीत'
Poem composed by Sri. Swapnil Chaphekar, Asst. Prof. and Head, School of Kalayoga, CVV, on the occasion of Maha Shivaratri, 11 March 2021.
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